ISSUE No. 4, Dec, 2022
Permanent URI for this collection
Browse
Browsing ISSUE No. 4, Dec, 2022 by Author "Vinu"
Now showing 1 - 1 of 1
Results Per Page
Sort Options
Item हिंदी सिनेमा की भाषिक समृद्धि और गायब होती हिंदी(Chainany E-Journal, 2022-12-01) Vinuहिंदी सिनेमा जगत में जहाँ सत्तर और अस्सी के दशक में विशुद्ध रूप से हिंदी का व्यवहार न केवल परदे के सामने होता था बल्कि परदे के पीछे निर्माता, निर्देशक से लेकर पटकथा तक हिंदी में लिखी और पढ़ी जाती थी । किन्तु वर्तमान समय की यदि बात की जाए तो आज की विडंबना यह है कि फिल्म के निर्माण की नींव रखे जाने से लेकर अंतिम दृश्य तक के कार्यक्रम का लेखा-जोखा अंग्रेजी भाषा में किया जाता है। इस सम्बन्ध में अपने अनुभव साझा करते हुए हिंदी सिनेमा के एक प्रसिद्ध और मंझे हुए कलाकार नवजुद्दीन सिद्दकी कहते हैं कि "आप हिंदी में फिल्म बना रहे हो लेकिन डायरेक्टर भी, असिस्टेंट भी, सारे इंग्लिश में बात कर रहे हैं और एक्टर की समझ में ही नहीं आ रहा..."2 यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंदी सिनेमा के माध्यम से रोजगार पाने वाले अभिनेता, अभनेत्री, निर्माता, निर्देशक आदि फिल्म के दौरान बोले जाने वाले संवादों के अतिरिक्त हिंदी का उपयोग करना भी आवश्यक नहीं समझते। यही नहीं हिंदी सिनेमा जगत द्वारा आयोजित किये जाने वाले सम्मान समारोह में भी अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की कमजोर इंग्लिश का जहाँ मज़ाक उड़ा कर सुर्खियाँ बटोरने का चलन चल पड़ा है वहीं हिंदी में साक्षात्कार देने पर ऐसे व्यक्ति के समंध में आम धारणा बना ली जाती है कि वह अंग्रेजी भाषा बोलने में अक्षम है, इसे सामाजिक दबाव के माध्यम से शर्म का विषय बना दिया जाता है। यह कैसी विडंबना है? यह प्रश्न ही क्यों उठता है हिंदी भाषा के उपयोग पर? इसके पीछे के कारणों को यदि खंगाला जाए तो मैकाले द्वारा भारत भ्रमण के पश्चात कहे गए वे शब्द सहज ही याद आ जाते हैं जिनका मूल स्वर हिंदी भाषा के प्रति जनमानस में हीनता बोध और अंग्रेजी की श्रेष्ठता, स्तर की उच्चता के अनुभव हेतु अंग्रेजी ज्ञान की अनिवार्यता के माध्यम से भारत की जड़ों को हिलाने और इस देश पर राज कर सकने के एक मात्र उपाय जैसा सुझाव ब्रिटिश सरकार को दिया गया था ।